पुराना सन्धि-प्रदाह (Arthritis)
सन्धियों में बहुत दिनों तक प्रदाह रहने पर उस जगह का रंग बदरंग जाती हैं या बढ़ जाती हैं या कहिये कि बदशक्ल हो जाया करती हैं।
एकोनाइट 30- रोग की प्रथमावस्था में सबसे पहले इसका प्रयोग करें।
ब्रायोनिया 6, 30- पूरे शरीर का चमड़ा रूखा-सूखा, मल कड़ा व रूखा सूखा, कब्जियत, पेशाब थोड़ा और गाढ़ा इत्यादि लक्षणों में प्रयोग करें ।
कोलचिकम 6,30– रोग जव पुराना रूप धारण कर ले और खासकर जब जाँघ की सन्धि आक्रान्त हो जाये तब लाभदायक है।
सल्फर 30- रोग की पुरानी अवस्थाओं में जब किसी औषधि से लाभ न दिखाई दे तब इस औषधि का प्रयोग करना चाहिये ।
पल्सेटिला 6,30- स्त्रियों की पुरानी सन्धिप्रदाह की बीमारी में, खासकर जब रजोरोध की शिकायत हो तब लाभदायक हैं ।
सिमिसिफ्यूगा Q, 30– स्त्रियों की ही बीमारी में इसका प्रयोग ज्यादा लाभकारक सिद्ध हुआ है, खासकर जब सन्धि-प्रदाह में दर्द की भी शिकायत हो और रोगिणी बेचैन हो ।