मल-त्याग के समय आंतों में दर्द, टीस एवं ऐंठन होने की स्थिति पेचिश रोग की द्योतक है। यह रोग मक्खियों से फैलता है। इसमें शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है। इसके बाद गुदाद्वार से पतला, लेसदार और दुर्गधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है। दस्त रोग में मल ढीला या पानी जैसा आने लगता है। पेट में मरोड़ एवं दर्द होता है। रोगी को बार-बार शौच के लिए जाना पड़ता है। यह किसी संक्रमण या खानपान की गड़बड़ी के कारण हो सकता है। दस्त एवं पेचिश के घरेलू उपचार इस प्रकार हैं –
दूध – 150-200 ग्राम दूध उबालकर गुनगुना कर लें। चौथाई टुकड़ा नीबू का रस अलग प्याले में निचोड़ लें। फिर दूध में नीबू-रस डालकर पी जाएं ताकि शरीर में जाकर ही दूध फटे । इससे मरोड़, दस्त व पेचिश के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
नीबू – यदि दस्त में मरोड़ या आंव आती हो, तो एक नीबू का रस एक कप पानी में मिलाकर दिन में पांच बार दें। दस्त बन्द हो जाएंगे।
केला – (i) दो केले को 125 ग्राम दही के साथ कुछ दिनों तक खाने से दस्त, पेचिश एवं संग्रहणी ठीक हो जाती है।
(ii) उबले हुए कच्चे केले की रोटी बनाकर प्रतिदिन खाने से दस्त बंधकर आने लगता है।
आलूबुखारा – आलूबुखारा खाने से पतला दस्त दूर हो जाता है।
पपीता – कच्चा पपीता उबालकर खाने से पुराने दस्त में लाभ होता है।
गाजर – गाजर के सेवन से पुराने दस्त और अपच के दस्त ठीक हो जाते हैं।
प्याज – प्याज को पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त बन्द हो जाते हैं। 30 ग्राम प्याज के रस में एक राई के बराबर अफीम मिलाकर पिलाएं। दस्त एवं मरोड़ तुरन्त बन्द जाएंगे।
छाछ – 125 ग्राम छाछ में 12 ग्राम शहद मिलाकर पीने से पेचिश, ऐंठन एवं दस्त बन्द हो जाते हैं।
अखरोट – यदि दस्त में मरोड़ हो, तो अखरोट को पानी में पीसकर नाभि पर लेप करें। मरोड़ दूर हो जाएगी।
धनिया – धनिये में काला नामक मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से भोजनोपरांत शौच जाने की आदत छूट जाती है। केवल धनिये की फंकी लेने से भी दस्त बन्द हो जाते हैं।
अदरक – आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाएं। फिर जितना गरम पिया जा सके, उतना गरम पिएं। इस तरह एक घंटे में एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह होने वाले पतले दस्त भी बन्द हो जाते हैं।
शक्कर – एक गिलास पानी उबालकर ठंडा कर लें। इसमें जरा-सा नमक एवं स्वादानुसार चीनी मिलाकर घोल दें। इसे बार-बार दस्त के रोगी को पिलाएं। इससे दस्त के कारण होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
आम – मीठा आम का रस आधा कप, दही 25 ग्राम और अदरक का रस एक चम्मच – इन सबको मिलाकर पिएं। इससे पुराने दस्त, अपच के दस्त और बवासीर में काफी लाभ होता है।
नीम – 1 ग्राम नीम के बीज (निबौली की गिरी) और थोड़ी-सी चीनी-दोनों को पीसकर पानी के साथ फंकी लें। यह दस्त एवं पेचिश में लाभ करता है।
तुलसी – तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से दस्तों में लाभ होता है। 10 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस नित्य पीने से दस्त, पेचिश, मरोड़ और अजीर्ण में फायदा होता है।
इसबगोल – एक चम्मच इसबगोल की भूसी गरम दूध में फुलाकर रात्रि को सेवन करें। प्रात:काल इसबगोल को दही में भिगोकर उसमें नमक, सोंठ एवं जीरा मिलाकर पिएं। कुछ दिनों तक सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
फिटकरी – फिटकरी 20 ग्राम और अफीम 3 ग्राम – दोनों को पीसकर मिला लें। सुबह-शाम यह चूर्ण पानी के साथ खाएं। दस्तों में लाभ होगा।
जीरा – पतले दस्त होने पर जीरे को सेंक-पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलाकर नित्य चार बार चाटें। भोजन के बाद छाछ में सेंका हुआ जीरा और काला नमक मिलाकर पिएं। इससे दस्त बन्द हो जाएंगे।
जामुन की गुठली – जामुन की गुठली 10 ग्राम सुबह और शाम 50 ग्राम पानी में रगड़-छानकर पिएं, खुनी दस्त बंद हो जायेगा। खुराक-खिचड़ी खाएं।
जामुन और आम की गुठली – जामुन और आम की गुठली का चूर्ण बनाकर 10 ग्राम की मात्रा में रख लें। दिन में दो बार 2 ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर खाएं। इस चूर्ण को सुबह नाश्ता तथा दोपहर को भोजन करने के बाद लें। आप इसे रात्रि में भी खा सकते हैं। एक सप्ताह के नियमित सेवन से मरोड़ वाली दस्त जड़ से समाप्त हो जाएगा।
शहद – (i) खूनी दस्त आने पर गौ-दुग्ध की मलाई में उससे आधी मात्रा शहद की मिलाएं और चाटें। बकरी के दूध में मिश्री मिलाकर पीने से भी गर्मी के खूनी दस्त बंद हो जाते हैं। दूध में दुगना पानी मिलाकर उबालें और दूध बच जाने पर पी लें। फीका दूध भी खूनी दस्त बंद कर देता है। दस्त के साथ खून जाने से कमजोरी आती है। अतः इसका तुरन्त उपचार करें।
(ii) एक गिलास ठंडे पानी में 50 ग्राम शहद फेंटें। जब झाग बन जाए तो डेढ़-दो गिलास शरबत रोगी को पिला दें। यदि दस्त बहुत पतले हों तो आधा गिलास पानी में दो चम्मच शहद मिलाएं।
अमरुद – अमरुद की कोमल पत्तियां उबाल -छानकर पीने से पुराना दस्त भी दूर हो जाता है।
अनार –10 ग्राम अनार के छिलके एवं 2 लौंग को पीसकर एक गिलास पानी में 8-10 मिनट तक उबालें। तत्पश्चात् उसे छानकर लगभग 50-50 ग्राम कुछ दिनों तक नित्य तीन बार पीने से पेचिश और दस्त में लाभ होता है। दस्तों में अनार का रस पीना भी हितकर है।
कैथ – कैथ का कच्चा फल खूनी दस्त तथा पेचिश में लाभप्रद है।
खजूर – पेचिश और दस्त होने पर खजूर और दही का सेवन लाभप्रद है।
नारंगी का रस – नारंगी का रस थोड़े से दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से दस्त में काफी लाभ होता है।
बेल – कच्चे बेल का काढ़ा पीने से पतले दस्त बन्द हो जाते हैं। बच्चों के आंव मिले दस्तों में कच्चे बेल को आग में भूनकर उसका गूदा दिन में तीन-चार बार देना चाहिए। पित्त के कारण होने वाले दस्त में बेल का मुरब्बा खाएं। कच्चे बेल का कपड़छन चूर्ण गरम जल के साथ बच्चों को देने से दस्त, आमातिसार, रक्तातिसार, अरुचि तथा मुख की विरसता आदि दूर हो जाती है।
दूध न पचने पर दस्त – बच्चों को दूध न पचने, दूध पीते ही दस्त या वमन होने, खूनी दस्त तथा बड़े व्यक्तियों को मरोड़-ऐंठन युक्त दस्त आदि होने पर थोड़े-थोड़े अन्तर से सेब का रस पिलाना चाहिए।
नाशपाती – पेचिश, दस्त और रक्तातिसार में खट्टे नाशपाती का रस एक-एक कप की मात्रा में दिन में तीन बार पीने से आराम मिलता है।
लौकी – लौकी का ऊपरी छिलका धूप में सुखा-पीसकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण नित्य सायंकाल ताजे जल के साथ 5-7 दिनों तक लेने से खूनी दस्त में काफी लाभ होता है।