इस रोग में विभिन्न कारणों से रोगी का एक या दोनों पाँव फूलकर हाथी के पाँव के समान मोटा हो जाता है अतः यह रोग हाथीपाँव कहलाता है । जलन, सूजन, दाहकता, चलने में तकलीफ, दर्द, बेचैनी आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।
हाइड्रोकोटाइल 1M- डॉ० घोष ने लिखा है कि यह दवा कुष्ठ-रोग के साथ-साथ फीलपाँव में भी अत्यन्त उपयोगी हैं । प्रत्येक पाँच दिनों के पश्चात् रोगी को इसकी एक मात्रा देने से अत्यन्त लाभ होता है ।
एनाकार्डियम 30- उक्त दवा से लाभ न मिलने पर इस दवा को प्रतिदिन 4 बार दें- लाभ होगा ।