मनुष्य के शरीर के सम्पूर्ण भार का दो तिहाई भाग पानी है। हमारे शरीर में प्रतिदिन प्राय: 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दों से 1500 ग्राम, त्वचा से 650 ग्राम, फेफड़ों से 320 ग्राम और मल मार्ग से 130 ग्राम पानी खर्च होता है जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले जलांश से होती है फिर भी संतुलन बनाए रखने के लिए कम-से-कम अढ़ाई किलो पानी प्रतिदिन पीना आवश्यक है। पानी एक साथ नहीं, धीरे-धीरे, घूंट-घूंट पीना चाहिए ताकि शरीर के तापमान के अनुसार वह पेट में पहुँचे।
पानी की शुद्धता – पानी में तुलसी के पत्ते डाले रखें। इससे पानी शुद्ध रहता है।
पानी कब न पियें? – गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरन्त बाद चाहे दिन हो या रात, पत्नी संग के बाद, दस्त हो जाने के बाद, दूध या चाय लेने के बाद, धूप से आने के पश्चात् तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए।
पानी कब पियें? – भोजन से पहले पानी पीने से पाचनशक्ति कम हो जाती है, शरीर पतला होता है। भोजन के मध्य 5-6 घूंट पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है। भोजन के तुरन्त बाद पानी पीने से शरीर फूलने लगता है, मोटा होता है। पाचन-क्रिया और बल कम हो जाता है। भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने से आमाशय को शक्ति मिलती है। जिन्हें पतले दस्त आते हैं, उन्हें भोजन करते समय पानी नहीं पीना चाहिए।
पानी कब अधिक पियें? – उच्च रक्तदाब, अर्श, ज्वर, लू लगना, सुजाक, पेशाब की बीमारियाँ, रक्तपात, हृदय की धड़कन, कब्ज़, पेट में जलन आदि रोगों में अधिकाधिक पानी पीना चाहिए।
पानी कैसे पियें ? – गिलास या बर्तन को होंठों से लगाकर पानी पीने के बजाए ऊपर से सीधे मुँह में डालकर पानी पीने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इससे पेट की बीमारियों की आशंका बनी रहती है। पानी ऊपर से या एक साथ पीना मुँह से लेकर गुदा द्वार तक की आहार नाल में वायुदोष उत्पन्न करता है और वायु ऊपर उठकर बदहजमी, खट्टी डकारें, अपच, जी मिचलाने जैसी व्याधियाँ हो जाती हैं। गिलास को होंठों से लगाकर घूंट-घूंट करके पानी पिया जाए तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।
पानी कितना पियें ? – हमें कम-से-कम आठ लीटर पानी पीना चाहिए। चिकित्सकों का कहना है कि यदि आप इसका सही नाप जानना चाहते हैं तो अपने शारीरिक वजन को 0.55 से गुणा करें। जो परिणाम हासिल हो, उतना पानी तो आपको पीना चाहिए। यदि आप शारीरिक रूप से ज्यादा मेहनत करते हैं तो इसे 0.66 से गुणा करें। बीमारी के समय भी पीना चाहिए, जिससे अदर ठण्डक पहुँचे और शरीर का तंत्र फिर शुरू हो जाए। एक स्वस्थ शरीर ही बीमारी से लड़ सकता है।
नीरोग – पानी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है। प्यास के समय इच्छा के विपरीत बेहद ठूँस – ठूँसकर जल पीना हानिकारक होता है। भोजन, भजन एवं गमन से पूर्व तीन घूंट पानी अवश्य पियें। तीन घूंट जल, तन-मन करे निर्मल। सुबह नींद से उठते ही प्रभु स्मरण कर तीन घूंट पानी पीना और रात को सोने से पूर्व तीन घूंट पानी पीना, स्वास्थ्यवर्धक व जरा-व्याधि विनाशक होता है। जल ही औषधि
है।
नेत्रों की नीरोगिता – भोजन करने के बाद हाथों को पानी से धोकर गीले हाथों की दोनों हथेली आपस में रगड़ कर नेत्रों पर लगायें। इस प्रकार नित्य करते रहने से नेत्रों में कभी भी कोई रोग नहीं होता और यदि कोई रोग हो तो दूर हो जाता है।
नेत्र-ज्योतिवर्धक – बाल्टी में साफ पानी भरकर चेहरा डुबोकर नेत्र बार-बार खोलें, बन्द करें। इससे नेत्रज्योति बढ़ती है।
स्नान – बूढ़े तथा निर्बल मनुष्यों को छोड़कर, गर्म पानी की अपेक्षा ठण्डे जल से स्नान करना सबके लिए हितकर है, चाहे मौसम सर्दी का ही क्यों न हो। यदि किसी व्यक्ति का दिल घबरा रहा हो और बेचैनी महसूस हो रही हो तो ठण्डे पानी से स्नान करने पर आराम होता है। शीतल जल से स्नान तथा टबबाथ स्वप्नदोष तथा वीर्य रोगों में अधिक लाभदायक है। पहाड़ों की चढ़ाई में थकान आने पर ठण्डे पानी से स्नान करने से स्फूर्ति आती है।
ठण्डा स्नान शरीर व मन को अधिक ताजगी और सुखद अहसास कराता है।
सप्ताह में एक बार शरीर पर पानी की भाप अवश्य देनी चाहिये। इससे शरीर की सफाई हो जाती है, रोम छिद्र खुल जाते हैं और शरीर की गन्दगी बाहर निकल कर शरीर पर चमक आ जाती है।
नकसीर – ठण्डा पानी सिर पर धार बाँधकर डालने से रक्त गिरना बन्द हो जाता है।
अपच – अपच में पानी दवा का काम करता है और भोजन पचने के बाद पानी पीने से शरीर में बल बढ़ता है। अग्नि के सामने काम करने के बाद और तेज धूप से आने के बाद एकदम शीतल जल से स्नान न करें। इससे चमड़ी तथा दृष्टि को नुकसान पहुँच सकता है।
पानी का अवरोधन कम कैसे करें? – पाचन क्रिया के समय शरीर में कुछ हानिकारक पदार्थ भी बनते हैं। यदि ये पदार्थ शरीर से बाहर न निकलें तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो यह पदार्थ शरीर में ही रह जाते हैं और शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं, जैसे-जी मिचलाना, भूख न लगना, सुस्ती दूर न होना, सिरदर्द, घबराहट।
बचाव – इन स्थितियों से बचने के लिए भोजन में मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और रेशेयुक्त खाद्य पदार्थ खाने चाहिए।
मुँह के दर्द में, दाँत के रोगों में नमक को गर्म पानी में डालकर गरारे करने से दर्द दूर हो जाता है। दाँत निकलवाने के बाद होने वाले रक्तस्राव में ठण्डे पानी से गरारे करने पर रक्तस्राव बन्द हो जाता है।
खाँसी – हथेली में पाँच बूंद पानी की डालकर दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें, फिर गले से छाती, पसली पीठ पर ऊपर से नीचे दो-दो मिनट नित्य तीन बार मालिश करें। इसके साथ करेले की सब्जी खायें। खाँसी ठीक हो जायेगी।
दमा – दमा का दौरा पड़ने पर हाथ और पैर गर्म पानी में डुबोकर दस मिनट रखें। इससे बहुत आराम मिलता है।
कमर का मोटापा – पाँच चम्मच जामुन का सिरका एक गिलास पानी में मिलाकर प्रात: भूखे पेट पीते रहने से कमर का मोटापा दूर हो जाता है।
मोटापा घटाना – हमारे शरीर की कोशाएँ पानी में इस तरह फूलती हैं, जिस तरह पानी में चने या चावल। इन चने या चावलों को सुखा दो। ये पिचक जायेंगे, सूखकर सिकुड़ जायेंगे। इसी तरह मोटेपन में पानी और पानी वाले खाद्य कम लेने से मोटापा घट जाता है। पतलापन होने पर पानी व पानी युक्त खाद्य अधिक लेने चाहिए। याद रखें मोटापा आयु घटाता है।
जिनका शरीर मोटा हो गया है और जो चाहते हैं कि अधिक मोटा न हो, उन्हें सदा गुनगुना पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। भोजन से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पी लिया जाए तो भोजन अधिक नहीं किया जा सकता। 125 ग्राम पानी उबालकर ठण्डा करें। जब गुनगुना रह जाये तब उसमें तीन चम्मच नीबू का रस और दो-तीन चम्मच शहद मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है। शरीर में चाहे कैसी भी चर्बी बढ़ गई हो, घटकर शरीर, सुडौल बन जाता है। पेट के रोग दूर होकर भूख तेज लगती है। यह प्रात: खाली पेट एक दो मास लें।
विशेष – भोजन हल्का और दिन में एक बार करें। चोकर की रोटी खाना लाभप्रद है। हरी सब्जियों का विशेष रूप से सेवन करें। सायंकाल केवल फल लें। भोजन के साथ जल न लें। भोजन के एक घण्टे पश्चात् थोड़ा जल पियें। चाय, कॉफी, चर्बी बढ़ाने वाले और मीठे पदार्थों का सेवन यथासम्भव कम कर दें।
दोनों समय भोजन के तुरन्त बाद एक कप उबलता हुआ गर्म पानी जितना गर्म पिया जा सके, चाय की भाँति छोटे-छोटे घूंट धीरे-धीरे पी लें। चाहे तो एकाध घूंट ठण्डा पानी भोजन के बीच में ले सकते हैं। इस प्रकार खाने के तुरन्त बाद गर्म पानी के लगातार सेवन करने से मोटापा घटकर शरीर संतुलित हो जाता है। परन्तु गर्म पानी का यह प्रयोग लगातार दो महीनों से अधिक नहीं करना चाहिए। इस प्रयोग से दो महीने में चबीं घटने लगेगी। डॉक्टर ल्यूकस की राय में सर्वोत्तम तरीका यह है कि तीन गिलास पानी में चुटकी भर नमक डालकर उबालकर रख लिया जाए और इस पानी का एक गिलास प्रात: भूखे पेट, दूसरा दोपहर और तीसरा रात में सोने से पहले पियें।
बच्चों का मोटापा बढ़ना – ताजा जल चार घण्टे धूप में रखें। फिर इससे बच्चों को नित्य एक निश्चित समय पर स्नान कराने से बच्चा मोटा हो जाता है।
गर्म पानी – मोटापा घटाना, गैसेज, कब्ज़, कोलाइटिस, एमोबायेसिस, कृमि, पसली का दर्द, जुकाम, बादी के रोग, गले के रोग, दस्तावर दवा के बाद, नया बुखार, संग्रहणी, श्वास, खाँसी, हिचकी, चिकनी चीजें, खाना खाने के बाद एक गिलास गर्म पानी, जितना गर्म पिया जा सके, लगातार पीते रहने से ठीक हो जाते हैं।
प्रात: चाय जैसे गर्म पानी का एक गिलास (आधा लीटर) पीने से जुकाम, खाँसी, नजला, स्वरभंग, छींकें, सिरदर्द, कब्ज़, बदहजमी इत्यादि से व्यक्ति सदैव मुक्त रहता है। यदि उस गर्म पानी में आधा नीबू का रस निचोड़ दिया जाए तो समय पर भूख भी अच्छी लगती है और पेट में गैस और सड़न भी नहीं होती। सर्दी के मौसम में प्रात: गर्म पानी पीने से जुकाम, खाँसी नहीं होंगे।
मौसम के बदलने पर खाँसी-जुकाम होने पर गुनगुने पानी का सेवन और परहेजी खाना सबसे अच्छा उपचार है। छोटे बच्चों को गर्म पानी में भीगे तौलिये से मालिश किया जा सकता है। यदि किसी स्थान पर मोच आ जाती है तो मोच लगने के दूसरे दिन से गर्म पानी में डालकर सेंकने से मीच में लाभ होता है। .
गर्म पानी पीने से – इससे प्रसव के पश्चात् बढ़ा हुआ पेट ठीक होकर सुगठित हो जाता है। मोटे रोगियों, गठिया तथा जोड़ों के दर्द व सूजन के लिये गर्म पानी का सेवन बहुत लाभप्रद है। इससे मूत्र अधिक मात्रा में आकर शरीर से यूरिक अम्ल और विषैले अंश निकल जाते हैं। अधिक गैस पैदा होना बन्द होता है। कब्ज़ नहीं रहती, पाखाना खुलकर आता है। मल अाँतों में नहीं सड़ता। पेट में कोड़ों की उत्पत्ति नहीं होती। आमाशय और अन्तड़ियों की कमजोरी, पेट फूलना, आमाशय की सूजन, पेचिश आदि बीमारियाँ नष्ट हो जाती हैं। यकृत को शक्ति प्राप्त होती है। औरत की मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है। आँखों के नीचे काले घेरे और चेहरे का भद्दापन दूर होकर रंग साफ निखरता है। कमर सुन्दर बनती है।
नाश्ता मोटापा घटाने के लिए – छिलका सहित सेब और गाजरें लेकर, दोनों को लगभग बराबर मात्रा में, अलग-अलग कद्दूकस कर लें। इन लच्छों को प्रात: खाली पेट नाश्ते के समय प्रसन्नचित्त जितना खा सकें, या दो सौ ग्राम खा लें। इसे खाने के बाद दो घंटे तक कुछ न खायें। इससे जहाँ शरीर में शक्ति, स्फूर्ति का संचार होगा वहाँ अनावश्यक चर्बी घटेगी, रक्त साफ होकर रूप निखरेगा।
मोटापा बढ़ाने के लिए – यही खुराक (अर्थात् समभाग छिलका सहित सेब व गजरों को कद्दूकस करके बनाए गये लच्छों को) दोपहर भोजन के बाद खायें। यदि आपका वजन गिर रहा हो या आपको कमजोरी का अनुभव हो रही है तो इससे आशातीत लाभ होगा।
ठण्डे पानी को पट्टी – एक नेपकिन, मोटा कपड़ा पानी में भिगोकर, निचोड़कर पेट पर रखें। ऊपर से सूखे कपड़े से एक घण्टा बन्धा हुआ रखें। एक घण्टे बाद खोल दें। इससे अम्लपित्त, यकृत रोग, पेट में घाव (Ulcer), मासिक धर्म में दर्द आदि रोगों में लाभ होता है। कपालभाति प्राणायाम, कुंजल क्रिया भी लाभदायक है।
सिरदर्द – यदि सर्दी-जुकाम की वजह से सिरदर्द है, तो गुनगुने पानी में पैर डालकर लगभग आधा घण्टे तक बैठ जायें। इससे सिरदर्द ठीक होगा तथा जुकाम में भी आराम मिलेगा।
कमर दर्द – गर्म पानी पियें। यदि पानी ठण्डा ही पीना हो तो पानी में पाँच पत्ते तुलसी या दो छोटी इलायची पीसकर डालकर पानी उबालें। सुबह उबाले पानी को शाम तक और शाम को उबालें पानी को प्रात: तक पियें। इस तरह ठण्डे पानी को पियें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है। यदि बदन दर्द व पैरों में सूजन व दर्द हो तो गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर आधा घण्टे पाँव डाल कर बैठने पर आराम आ जाता है।