बच्चे को 6 महीने से लेकर 9-10 महीने की उम्र के अन्दर-अन्दर ही दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं और प्रायः दो वर्ष के अन्दर सभी दाँत निकल आते हैं । इस समय बच्चों को प्रायः उल्टी, दस्त, चिड़चिड़ापन आदि रोग हो जाते हैं जिनकी लक्षणानुसार चिकित्सा करनी चाहिये ।
कैमोमिला 6, 30- दाँत निकलते समय बच्चे के प्रायः सभी कष्टों में कैमोमिला का प्रयोग कर लाभ उठाया जा सकता है । चिड़चिड़ा स्वभाव, लगातार रोना, गोद में चढ़ना, ज्वर, पेट में ऐंठन आदि में लाभप्रद है ।
इपिकाक 6, 30- पतले दस्तों का आना, कै हो जाना, जी मिचलाना आदि अवस्थाओं में इस दवा का प्रयोग करें ।
मर्ककॉर 6- दाँत निकलते समय अतिसार होने पर दें ।
एकोनाइट 3x- बुखार, बेचैनी, प्रदाह आदि लक्षणों में दें ।
बेलाडोना 30- दाँत निकलने की वजह से आक्षेप का होना और इसके बाद नींद में चौंक पड़ना आदि लक्षणों में इस दवा का प्रयोग करना चाहिये।
कल्केरिया कार्ब 6- मोटे-ताजे बच्चों को दाँत निकलने में देरी होने पर यह दवा देनी चाहिये ।
सिना 30 – पेट में कृमि की वजह से नाक खुजलाना, नींद में दाँत किटकिटाना, बिस्तर में पेशाब कर देना आदि लक्षणों में लाभप्रद है ।
कल्केरिया फॉस 6x- दाँत निकलते समय के कष्टों में लाभप्रद है ।