साधारण यकृतशोथ (हिपैटाइटिस) सामान्यतः संक्रमित पानी, भोजन और पेय से होता है। इसके संक्रमण से लेकर रोग के लक्षण प्रकट होने तक में 20 से 40 दिन का समय लग जाता है।
बी-वायरसजनित यकृतशोथ
(हिपैटाइटिस-बी : Hepatitis B)
ड्रग्स के आदती लोगों में तथा संक्रमित रक्ताधान से यह रोग हो जाया करता है। संक्रमण से लेकर रोग के लक्षण प्रकट होने तक में 1 से 6 महीने का समय लग जाता है।
एलोपैथी : बी-कॉम्पलेक्स, लिव-52, आराम और सुपाच्य भोजन। एलोपैथी में वस्तुतः इस रोग का कोई उपचार नहीं है, केवल प्रकृति अपना कार्य करती है। उग्र यकृतीय विफलता के कारण कुछ केसेज़ प्राणघातक हो जाते हैं।
होम्योपैथी : मैंने हिपैटाइटिस-ए के अनेक मध्यम केसेज़ का होम्योपैथिक उपचार किया है जिनमें बिलिरूबिन का स्तर 18 एम.जी. था।
1. चिकित्सा प्रारंभ करते हुए सल्फर 200 प्रातःकाल केवल एक बार। दूसरे दिन से ब्रायोनिया 30, चायना 6 और चेलीडोनियम 30, चक्रिक रूप से।
2. तीव्र केसेज़ में मैं चियोनैंथस Q + कार्डूअस एम. Q (1 : 1) 5-8 बूंद प्रति 2-4 घंटे पर। कुनीन और शराब के कारण उत्पन्न पीलिया में यह उपचार लाभकारी है।
3. कैंसर की अन्तिम अवस्था में तीव्र पीलिया, लंबी बीमारी, मुखशोथ के साथ मुखव्रण, उदरोर्ध प्रदेश में स्पर्शकातरता और रोगभ्रम के लक्षणों में हाइड्रास्टिस 30 और चियोनैन्थस Q पर्यायक्रम से बहुत लाभदायक है।
4. सद्योजात (न्यू बोर्न) शिशु की पीलिया : सद्योजात (एक माह के अंदर के) और उसके उपर के शिशुओं जिनकी माता को गर्म-गरिष्ठ भोजन और सूखा मेवा खिलाया गया है – मैं पोडोफायलम और पल्साटिला 6 पर्यायक्रम से देता हूँ।