प्रकृति ने खीरे का स्वभाव ठण्डा तथा तर बनाया है। यह गर्मी तथा तृष्णानाशक है। खीरा कब्ज़ दूर करता है। पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर को जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्मरोग में लाभदायक है। खीरा भारी और पेट में गैस पैदा करने वाला है।
खीरे के रस को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें एक चम्मच शहद और आधा नीबू मिला लेना चाहिए। खीरा मीठा होता है लेकिन सभी खीरे मीठे नहीं होते, कुछ खीरे बहुत कड़वे भी होते हैं। कड़वे खीरे को टुकड़े करने से पहले ऊपर से छोटा-सा डाँड वाला भाग काटकर, उसी कटे खीरे पर कुछ देर रगड़ने से झाग के रूप में उसका कड़वापन निकल जाता है। खीरे के टुकड़े पर नमक लगाकर भी रगड़ सकते हैं। इस तरह से कड़वापन दूर करें।
पथरी – खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। इसका रस 250 ग्राम दिन में नित्य तीन बार पीना चाहिए। पेशाब की जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है। इसका रस पीने से पेशाब की जलन दूर होती है। यह मूत्राशय की पथरी में अधिक लाभ करता है। खीरे के रस को गर्म करके पीने से गुर्दे के दर्द में बहुत आराम मिलता है।
घुटनों का दर्द दूर करने के लिए भोजन में खीरा अधिक खायें और एक पोथिया लहसुन खायें। खीरा जोड़ों का दर्द भी दूर करता है।
नेत्रों को लालिमा – धूप में अधिक घूमने-फिरने से नेत्रों में जलन होने लगती है। धूप की उष्णता नेत्रों में लालिमा देने लगती है। ऐसे में खीरे को छीलकर उसके टुकड़े पलकों पर रखे जाएँ तो 20 मिनट में नेत्रों की लालिमा और उष्णता की जलन नष्ट हो जाती है।
आँखों को थकान – जब अाँखों में थकान महसूस हो, तो आँखों को आराम पहुंचाने के लिए खीरे के टुकड़ों को दस मिनट तक अपनी पलकों पर रखें। अाँखों पर ठण्डे पानी के छींटे मारें। इसके गोल टुकड़े काटकर 20 मिनट तक अाँखों की पलकों पर रखने से अाँखों के काले घेरे दूर होते हैं। इसके टुकड़े को चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे, झाँइयाँ तथा झुर्रियाँ दूर हो जाती हैं। खीरा खाने से शरीर के अन्दर जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाता है व त्वचा में कांति आती है।
सौंदर्यवर्धक – चेहरे की त्वचा के लिए खीरा एक अच्छा टॉनिक है। इसका नियमित उपयोग करते रहने से फोड़े-फुंसियाँ, झुर्रियाँ तथा त्वचा का रूखापन दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही यह त्वचा को चमकदार तथा प्राकृतिक ताजगी प्रदान करता है। एक खीरे के रस में चौथाई चम्मच गुलाबजल और चौथाई चम्मच नीबू का रस मिलाकर शीशी भर लें तथा नित्य चेहरे और हाथों पर लगायें। यह मिश्रण त्वचा का उत्तम टॉनिक है।
सौंदर्य वृद्धि के लिए – खीरे के स्लाइस बनाकर कुछ देर तक कच्चे दूध में डालकर रखने के बाद चेहरे, पलकों पर चिपकाने से त्वचा में निखार आता है। धूप से विकृत त्वचा भी सुंदर बनती है।
मुँहासों के निशान मिटाने हेतु खीरा, नीबू और मूली का रस समान मात्रा में मिलाकर लगायें। चौथाई कप खीरे के रस में इतना ही दूध मिलाकर चेहरे तथा हाथों पर लगाने से त्वचा साफ होती है। एक बड़े चम्मच खीरे के रस में चौथाई चम्मच नीबू का रस और एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलायें। इसे त्वचा पर मलें। आधा घण्टे बाद स्वच्छ पानी से धो लें। ये लोशन हर प्रकार की त्वचा के दाग-धब्बे हटाकर सुन्दर बनाता है। धूप के सम्पर्क में आने के कारण चेहरे की त्वचा का रंग गहरा होने पर चेहरे पर खीरा अथवा खीरे का रस लगाने से चेहरा साफ हो जाता है।
मोटापा – खीरा खाने और इसका रस पीने से मोटापा घटता है।
मधुमेह – प्रतिदिन खीरे की सलाद बनाकर खाने और 100 ग्राम रस सुबह-शाम पीने से मधुमेह में बहुत लाभ होता है।
जलना – आग से जलने पर खीरे को पीस कर जले भाग पर लेप करने से जलन व पीड़ा तुरन्त नष्ट हो जाती है।
उच्च रक्तचाप – उच्च रक्तचाप में खीरे की सलाद खाने व खीरे का रस पीने से रक्तचाप सामान्य स्थिति में लौट आता है।
भूख कम लगना – पाचन क्रिया की विकृति से कुछ स्री-पुरुष अरुचि के शिकार होते हैं। उन्हें कुछ भी खाना-पीना अच्छा नहीं लगता। ऐसे में खीरे को काटकर, उस पर नीबू का रस, कालीमिर्च का चूर्ण, सेंधा नमक डालकर खाने से अरुचि नष्ट होती है और अधिक भूख लगती है।
मूत्र की जलन – खीरे का रस पीने से कुछ ही दिनों में मूत्रत्याग के समय होने वाली जलन की विकृति नष्ट हो जाता है।
मूत्र में अवरोध – ग्रीष्म ऋतु में विभिन्न कारणों से मूत्र में अवरोध को विकृति हो जाती है। ऐसे में रोगी को बहुत पीड़ा और बेचैनी होती है। ऐसी स्थिति में खीरे के 100 ग्राम रस में 5 ग्राम धनिए का चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से मूत्र का अवरोध शीघ्र नष्ट हो जाता है।
लोहा – रक्ताल्पता (एनीमिया) के रोगी को खीरे का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए क्योंकि खीरे में लौह तत्व (आयरन) अधिक मात्रा में होता है।
गर्भावस्था में स्त्रियों को लौह तत्व की अधिक आवश्यकता होती है और खीरे में अधिक मात्रा में लौह तत्व होता हैं।
खीरे में पानी 96% तथा फॉस्फोरस 0.03% होता है।
खीरे का सेवन करने से मस्तिष्क को बहुत लाभ होता है। इससे बुद्धि विकसित होती है और स्मरणशक्ति प्रबल होती है।