किसी भी अंग में मांस या फैट के अत्यधिक और अनियमित बढ़ जाने को ट्यूमर कहा जाता है। यह सूजन नहीं है बल्कि मांस बढ़ जाता है। ट्यूमर के कई प्रकार हैं जिनमे कैंसर ट्यूमर, तंतुयुक्त ट्यूमर, चर्बी वाले ट्यूमर मुख्य रूप से हैं। इन ट्यूमर को ठीक करने की कुछ मुख्य होम्योपैथिक दवा की हम यहाँ चर्चा करेंगे।
इस लेख में हम सिस्टिक ट्यूमर के एक केस की चर्चा करेंगे और पेशेंट के पूरे लक्षण को समझने का प्रयास करेंगे।
एक 24 साल लड़की के दाएं गाल पर सिस्टिक ट्यूमर था। वह फैकल्टी के तौर पर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और स्पोकन इंग्लिश पढ़ाने का काम करती है और अपने ऑफिस में अकाउंटिंग और इंक्वायरी हैंडल करती हैं।
वह पढाई में आगे जाना पसंद करती है। खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती हैं। वह शांत स्वाभाव वाली है लेकिन अचानक धैर्य खो देती है और फिर वह फूट-फूट कर रोने लगती है।
जोर से बात करना पसंद नहीं है, चाहती है कि लोग उससे धीरे से बात करें। 5 महीने पहले उसके दांतों का इलाज हुआ था।
उस समय उनके चेहरे पर बड़ी सूजन थी, लेकिन वह कम हो गई और अब उस ट्यूमर हो गया है जो ठीक नहीं हो रहा है। उसमे दर्द महसूस नहीं होता है। पिछले इतिहास पूछने पर पता लगा कि :-
7वीं कक्षा में उन्होंने ब्रेसेस का इस्तेमाल किया और उस समय उसके चार दांत निकल गए थे। आठ महीने बाद ब्रेसेस को हटा दिया गया। बायीं कोहनी में फोड़ा हो गया था। उस समय एंटीबायोटिक्स का खूब प्रयोग किया।
कंप्यूटर के सामने देर तक बैठने से कभी-कभी सिरदर्द होता है। स्कूल के दिनों में असेंबली के दौरान बार-बार बेहोशी आना, आधे घंटे से ज्यादा तेज धूप में खड़े रहना से ऐसा होता था।
साथ ही मासिक धर्म के दौरान बेहोशी आना। बायोलॉजी लैब में कटे कॉकरोच को देखकर वह बेहोश भी हो गई थी। शारीरक लक्षण पूछने पर पता लगा कि :-
भूख : कम है और गर्म खाना पसंद करती है।
प्यास : पूरे दिन में 2 गिलास। भोजन के बाद थोड़ी बहुत प्यास । कम मात्रा में ही पीती है।
खाने में क्या पसंद है : मसालेदार भोजन, अचार (लहसुन का अचार पसंद है)। वह मांस नहीं खाती, केवल अंडे खाती है। ग्रेवी ले सकते हैं लेकिन मीट नहीं। घृणा : मिठाई और फल से ।
नींद : हमेशा आलस और नींद, रात में उसे नींद नहीं आएगी, लेकिन दिन में उसे हर समय नींद आती रहती है और काम करने की इच्छा नहीं होती। वह रात में तो सोती है, दिन में भी सोती है।
उसे खुद से उठने और काम पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पसीना : बिल्कुल पसीना नहीं आता।
मेटल से एलर्जी है, कृत्रिम कान की बालियां से खुजली होती है। अगर घड़ी टाइट हो तो वॉच एरिया में भी खुजली होती है। जूता काटना आम बात है। तीन साल पहले चींटी के काटने से बेहोश हो गई थी।
सेहत को लेकर चिंता रहती है। ज्यादा धार्मिक नहीं है। ध्यान में विश्वास करती है, ईश्वर में नहीं। जितना हो सके अपने मस्तिष्क को शुद्ध रखना पसंद करती है।
हमेशा अपनी ही दुनिया में लीन रहती है। हमेशा खुश रहना और चीजों को हल्के में लेती है। वह कुछ बातें भूल जाती है। ऑफिस में उसे बताई गई बातें वह भूल जाती है और इसलिए अब वह उसे नोट कर लेती है।
उसकी याददाश्त कमजोर है। पढ़ाई में कठिन शब्दों को भी याद रखना मुश्किल होता है, इसलिए वह इसे छोड़ देती हैं। एक आसान जीवन पसंद करती हैं, कठिन परिस्थितियों से बचती हैं।
डर: कुछ खास नहीं, पालतू कुत्ते और फिलहाल शादी करने से । मैं इस मामले में निम्नलिखित लक्षणों की नोट्स बनाये :-
आलस, गुस्सा, दंत क्षय, सिस्टिक ट्यूमर, काम से विरक्ति, बेहोशी, खड़ा होना, घृणा मिठाई से, स्वास्थ्य की चिंता, बेहोशी सूरज से, इच्छा मसालेदार भोजन और लहसुन का आचार, मौन स्वभाव, बेहोशी, खून, घृणा, फल
इच्छा, गर्म भोजन, दिन में तंद्रा, रात को नींद न आना, मेमोरी, कमजोर, प्यास से कम – इतना ही पियो कि मुंह में नमी आ जाए, बेहोशी – कीड़े के काटने से, कुत्तों/जानवरों का डर, घृणा, मांस से, एलर्जी मेटल से
रोगी के सभी शारीरिक और मानसिक लक्षण को Nux Moschata कवर करता है और ऐसे में मैंने Nux Moschata 1M की 2 बून्द 10 दिन में 1 बार लेने की सलाह दी। करीब 6 महीने में गाल का ट्यूमर पूरी तरह से ठीक हो गया।
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ट्यूमर को ठीक करने की होम्योपैथिक दवा
Condurango 30 – पेट के कैंसर के सम्बन्ध में इस औषधि ने बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। अन्य प्रकार के कैंसरों तथा कैंसर-युक्त-ट्यूमरों में भी यह लाभदायक है। मेरा अनुभव है कि इस औषधि की मदर टिंचर लेकर कई ठीक हुए हैं, इससे उनका दर्द जाता रहा है। मेरा विश्वास है कि त्वचा के कैंसर में भी इससे लाभ होता है, ख़ासकर अगर कैंसर खुला हो, उसका अल्सर बन गया हो। ऐसे में 6x शक्ति से ज्यादा लाभ होता है, इस शक्ति से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
Conium 30 – अगर ग्लैंड्स सूज कर कड़े पड़ जायें, उनमें दर्द हो, दर्द रात को बढ़ जाय, कैंसर, स्तनों के ट्यूमर या स्तनों में कैंसर जैसा कड़ा होने की प्रवृत्ति शुरु होने पर यह दवा उपयोगी है। अगर ग्लैंड पर किसी खुंडी वस्तु की चोट से उसमें कड़ापन होने लगे जो बाद में ट्यूमर ट्यूमर बन जाये, तब तो यह औषधि विशेष रूप से काम करती है। उदाहरणार्थ, माता का स्तन-पान करते हुए बच्चे के सिर की अचानक चोट से स्तन में कड़ापन आ जाय, तब इसका उपयोग करना चाहिये। त्वचा के कैंसर में एवं कैंसर के कारण अंडकोशों की तथा गर्भाशय की वृद्धि में यह उपयोगी दवा है।
Calcarea Fluor 12x – शरीर में गाँठे, गुठली-सी पड़ जाने या स्त्री के स्तन कठोर पड़ने के साथ ग्लैंड के पत्थर की तरह सख्त हो जाने में यह औषधि अत्यन्त लाभप्रद है। इसके प्रयोग से यह गाँठे कैंसर नहीं बन सकेगी। जहाँ कहीं स्तनों में कठोर गाँठें दीख पड़ें वहाँ स्तन को कैंसर से बचाने के लिए इस औषधि को कभी भुलाना नहीं चाहिये।
Lapis Albus 30 – इस औषधि का प्रयोग करने से ट्यूमर की गाँठें अल्सर बनने से बच जाती है। छाती, पेट अथवा गर्भाशय में जलनवाला, चुभनेवाला दर्द होना इसका लक्षण है। ग्लैंड्स के आस-पास जो Connective tissues हैं उनमें कठोरता आ जाती है। गर्भाशय के कैंसर में जब उसमें से काला, बदबूदार स्राव निकलने लगे, उसमें भयंकर दर्द होता हो, तब Lapis Albus उपयोगी है।
Silicea 30 – यह औषधि कैंसर के दर्द को कम कर देती है। जरायु के ट्यूमर तथा त्वचा-सम्बन्धी रोग में जब गाढ़ा, पीला, बदबूदार स्राव निकलने लगे, तब यह लाभप्रद है।
Hekla Lava 3x – हड्डियों के ट्यूमर जो कठोर नहीं बल्कि स्पंजी हों, उनमें इससे लाभ होता है।
Baryta Iod 3x – छाती के कैंसरयुक्त ट्यूमर, एवं Ovaries के उन ट्यूमरों के लिए उपयोगी है जो कंठमाला के विष से दूषित (Scrofulous taint) हों।
Plumbum Iodatum 30 – स्त्रियों के स्तन के कठोर-स्थल जी धीरे-धीरे ट्यूमर का रूप धारण कर रहे हों। अगर वह स्थल धीरे-धीरे कठोर होता जाय, उसमें कोई परिवर्तन न हो, दर्द भरी सूजन बढ़ती चली जाय, तो समझ लेना चाहिये कि यह ट्यूमर का रूप धारण कर लेगा, और तब इस औषधि का प्रयोग करना चाहिये।
Arsenic 30 – Lupus के लिए यह औषधि स्पेसेफ़िक मानी जाती है। चाहे किसी प्रकार का भी ट्यूमर हो, उसमें इस औषधि के सूचक-लक्षण हैं – तेज़ जलन तथा भाले से काटता-सा दर्द, कमज़ोरी, शक्तिहीनता। ट्यूमर हो या न हो, अगर ये लक्षण मौजूद हैं, तो इस औषधि से ट्यूमर में या बिना ट्यूमर में रोगी को लाभ होगा, क्योंकि होम्योपैथी में रोग का नहीं, रोगी का लक्षणों का उपचार किया जाता है।
Hydrastis 30 – त्वचा तथा जरायु के कैंसर में यह उपयोगी है। कई चिकित्सकों का कथन है कि छाती की ग्रन्थियों के ट्यूमर में यह औषधि विशेष लाभ करती है, उसके दर्द को शान्त करती है, ट्यूमर की वृद्धि को रोकती है और रोगी के स्वास्थ्य में सुधार करती है। रोगी के पेट के कैंसर में भी इसका प्रयोग किया जाता है। कैंसर के रोग में यह औषधि सबसे अधिक प्रयुक्त होती है और इस रोग के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। छाती के कैंसरयुक्त-ट्यूमर को तब तक नहीं निकालना चाहिये जबतक Hydrastis का पूरी तरह से प्रयोग न कर लिया गया हो। हाइड्रैस्टिस से Lupus, Pylorus का कैंसर ठीक हुआ है इसलिये कैंसर में इस औषधि का प्रयोग लाज़मी है। इस औषधि के रोगी के लक्षण हैं – पिचके गाल, रक्तहीन, पीला चेहरा, सुखी त्वचा, भूख का न होना, कब्ज, उत्साह का अभाव।
Radium 30 – कैंसर में रेडियम की किरणों का प्रयोग किया जाता है, परन्तु होम्योपैथी में Radium 30 इस रोग के लिये ज्यादा उपयुक्त है। कैंसर बनने से पहले की अवस्था में इससे लाभ हो सकता है। उस समय दर्द हुआ करता है, सारे शरीर में खुजली होती है। मानसिक-दृष्टि से रोगी थका-मांदा, चिड़चिड़ा होता है, त्वचा पर दाने हो जाते हैं, निशान पड़ जाते हैं, जिनमें जलन और खुजली होती है। रोगी बेचैन रहता है, पेट में गर्मी महसूस होती है, हवा भर जाती है, कब्ज़ होता है । 30 शक्ति से नीचे की शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिये, नीचे की शक्ति के प्रयोग से रोगी के कष्ट बढ़ जाने की संभावना हो सकती है।
Carbo Animalis 30 – स्तनों के कैंसर, ग्रन्थियों में छोटी-छोटी गाँठे पड़ना, गाँठे पत्थर की तरह कठोर होना, त्वचा का नीला पड़ जाना, स्तनों की गाँठों में दर्द होना, गर्भाशय के मुंह में कैंसर होना और उसके साथ प्रजनन-मार्ग से पतला, बदबूदार स्राव बहना आदि कैंसर के लक्षणों में Carbo Animalis 30 औषधि उपयोगी है।
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Homeopathic Medicine For Fibroid Tumor
Silicea 30 – इस औषधि का काम शरीर के कठोर तंतुओं को ठीक करना है। इसीलिए घावों के जो निशान बने रह जाते हैं उन्हें यह औषधि मिटा देती है, घोल देती है। कठोर ट्यूमर में जब तंतु बढ़ कर ट्यूमर का रूप धारण कर रहे होते हैं, तब इस औषधि से वे ठीक हो जाते हैं इसलिये तंतु-वाले-ट्यूमर में यह उपयोगी औषधि है।
Secale Cor 30 – जरायु के तंतुयुक्त-ट्यूमर (Uterine fibroid tumor) में उपयोगी है।
Thyroidinum 3x – जिन स्त्रियों के थाइरॉयड ग्लैंड के बढ़ने के कारण ट्यूमर हो रहा हो, उन्हें Thyroidinum 3x का सेवन करना चाहिए।
Carcinosin 200 – ट्यूमर के साथ पोषण-क्रिया का अभाव हो, तब देना चाहिये।
Thlaspi Bursa Pastoris Q – कैंसर या ट्यूमर के कारण या किसी भी अन्य कारण से अगर जरायु से प्रचुर मात्रा में रक्त-स्राव होता ही जाय, न रुके, तब उपयोगी है।
Aurum Mur 30 – जरायु के ट्यूमर में सबसे अधिक प्रभाव इस औषधि का है।
Homeopathic Medicine For Fatty Tumor
Baryta Carb 30 – शरीर में अगर चर्बीयुक्त गाँठे या ट्यूमर दिखलाई दे, तो इसका उपयोग करें। ख़ासकर गर्दन के पास ये चर्बीदार ट्यूमर हुआ करते हैं।
Phytolacca Decandra 30 – अगर ट्यूमर में चर्बी का अंश अधिक बनता दिखलाई दे, तो यह औषधि उपयोगी है। चर्बी-युक्त गाँठों के अतिरिक्त कठोर गाँठों के लिये भी यह लाभप्रद है। स्त्रियों के स्तनों की गाँठों के लिये इसका विशेष उपयोग होता है।
Calcarea Carb 30 – चर्बीदार-ट्यूमर के लिये इस औषधि का दिन में एक या दो बार उपयोग किया जा सकता है।
Carcinosin 200 – उक्त रोग में इस औषधि की एक मात्रा सप्ताह में एक बार दे देने से रोग के ठीक होने में सहायता मिलती है।